
Mutual Funds क्या होते है || कितने प्रकार के होते है Mutual Funds, जानिए डिटेल्स और कौनसे है आपके लिए बेस्ट Mutual Funds ||
Mutual Funds क्या है ?
On The Basis Of Management :
- Actively Managed Mutual Funds :
- Passively Managed Mutual Fund :
- Open Ended Schemes :
- Close Ended Schemes :
- Interval Schemes :
- Equity Funds :
- Debt Funds :
- Money Market Funds :
- Balanced/ Hybrid Funds :
- Growth Schemes :
- Income Schemes :
- Sector Specific Funds :
- Capital Protection Funds :
- Fixed Maturity Plans :
- Pension Schemes :
- Tax Saving Schemes(ELSS) :
Mutual Funds क्या है ?
इस ब्लॉग (Blog) में आप म्यूच्यूअल फंड के बारे में सारी जानकारी प्राप्त करेंगे, बहुत सारे लोगों को म्यूच्यूअल फंड में इन्वेस्टमेंट करने की रुचि होती है ,लेकिन वह लोग कम या गलत जानकारी के कारण से पहले ही इन्वेस्टमेंट से दूर रहते हैं | यहां आप म्यूच्यूअल फंड और उनके प्रकार के बारे में देखेंगे जिससे आपको आपका बेस्ट म्यूच्यूअल फंड चुनने के लिए कठिनाई नहीं होगी, अगर आपको हमरे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगे तो जरूर शेयर करें |
Mutual Funds एक ऐसा रास्ता या जरिया है, जिसमे आप अप्रत्यक्ष रूप से शेयर बाजार (Stock Market )में हिस्सेदारी लेते हैं| बहुत सारे लोग प्रत्यक्ष रूप से शेयर बाजार में निवेश करने से कतराते हैं, और उन्हे जानकारी ना होने के चलते भी लोग रिस्क नहीं लेते,ज्यादातर लोग म्युचुअल फंड में ही हिस्सेदारी लेते हैं, क्योंकि म्यूच्यूअल फंड में निवेश किए गए पैसे AMC (Asset Management Company )ए एम सी द्वारा मैनेज किये जाते है|
यह फंड Fund Manager द्वारा Handle किये जाते है,जिन्हे Investment Advisor भी कहा जाता है, जो कि कुछ कमीशन चार्ज करते हैं|
Actively Managed Mutual Funds :
Actively Managed और Passively Managed फंड्स यह सबसे महत्वपूर्ण म्यूच्यूअल फंड के प्रकार है, Actively Managed फंड्स इस तरह के फण्ड होते है, जिसमे हिस्सेदारी का प्रतिशत बदला जा सकता है ,जैसे अगर Fund Manager को लगे कि उन्होने इन्वेस्ट की गई कंपनी का स्टॉक का फ्यूचर अच्छा नहीं है| तो उसे रिप्लेस कर सकते हैं, जिससे अगर भविष्य में खतरे में आता है तो वह पहले ही अपनी हिस्सेदारी कम कर लेते हैं|
Passively Managed Mutual Fund :
Passively Managed म्यूच्यूअल फंड बिलकुल Actively Managed के विपरीत होते हैं, जिसमें फण्ड मैनेजर एक बार जो Portfolio बनाते हैं, वही एन्ड तक रहता है, अगर Passively Managed म्यूच्यूअल फण्ड में कोई स्टॉक अच्छे रिटर्न नहीं दे रहा है, तो Fund Manager इस स्टॉक को रिप्लेस नहीं कर सकते, बाकि म्यूच्यूअल फण्ड की तुलना में इस Funds की मैनेजमेंट charge से बहुत कम होती है|
Efficient Market Hypothesis (EMH) के अनुसार कोई भी एक्टिव मैनेज फण्ड बाजार को लंबे समय तक इससे नहीं सकता क्योंकि यह संयोग की बात है, लेकिन long terms के लिए निष्क्रिय प्रबंधन (Passively Managed ) Return देता है|
Open Ended Schemes :
यह म्यूच्यूअल फंड का कोई फिक्स Duration नहीं होता है, इस Mutual Fund में आपको जब लगे तब आप इन्वेस्टमेन्ट Start कर सकते हैं| और जब लगे तब बंद कर सकते हैं, ओपन एंडेड स्कीम और क्लोज एंडेड स्कीम में सबसे बड़ा अंतर यह है कि ऊपर Open Ended स्कीम में लिक्विडिटी होती है, इसमें लॉक इन Period से पहले ही हम अपने पैसे निकाल सकते हैं, याह Mutual Funds में आप 500 से 1000 Rs से शुरुआत कर सकते हैं|
Close Ended Schemes :
यह Mutual Funds का फिक्स्ड Duration होता है, इसमें आप कभी भी Invest सकते हैं, लेकिन इसका लॉक इन पीरियड Fix रहता है, इसे बंद करना है इतना आसान नहीं होता, जितना open-ended स्कीम को होता है|
Interval Schemes :
यह फंड्स ओपन एंडेड स्कीम और क्लोज एंडेड स्कीम का सम्मेलन होता है,इस फंड्स आप जब लगे तब अपनी कैपिटल इन्वेस्ट कर सकते हैं, और जब लगे तब निकाल सकते हैं इसमें सबसे बड़ा नुकसान यह है कि ज्यादा चार्ज और लो लिक्विडिटी रहती है|
Equity Funds :
इस प्रकार का म्यूच्यूअल फंड एक प्राइमरी जरिया है, जिसमें हमारी कैपिटल अप्रत्यक्ष रूप से स्टॉक्स की हिस्सेदारी में लगाया जाता है, जो कंपनियां स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड है, वह कंपनियों में एक ग्रुप करके इन्वेस्ट किया जाता है, Equity म्यूचुअल फंड के अनेक प्रकार पड़ते हैं| जैसे लार्ज कैप फंड,डायवर्सिफाइड फंड ज्यादातर लोग डायवर्सिफाइड म्यूच्यूअल फंड चुनते हैं क्योंकि इस म्यूच्यूअल फंड में सभी तरह के स्टॉक में निवेश होने के कारण रिस्क कम होती है |
Debt Funds :
Debt म्युचुअल फंड जैसे नाम से ही हमें पता चलता है कि इस प्रकार के म्यूच्यूअल फंड Debt (ऋण ) में इन्वेस्ट किया जाता है, जिसमें कंपनी के Debentures ,Government Bonds इत्यादि आते हैं, इस प्रकार के म्यूच्यूअल फंड में रिस्क भी कम होती है और रिटर्न भी मध्य मिलता है, इनके भी बहुत प्रकार पडते हैं, जैसे शॉर्ट टर्म म्यूचुअल फंड एंड लोंग टर्म डेट म्युचुअल फंड|
Money Market Funds :
इस प्रकार के फंड में मुद्रा बाजार में इन्वेस्ट किया जाता है, जैसे खजाना , कमर्शियल बि द्वारा चयनित हो मनी मार्केट जाता है क्योंकि इस प्रकार फण्ड में मिनिमम लॉकिन पीरियड १५ दिन का होता है, मतलब आपके इन्वेस्ट किए गए पैसे 15 दिनों के बाद आप कभी भी निकाल सकते हैं.
Index Funds :
यह फंड्स में कैपिटल Index में इन्वेस्ट किया जाता है, अगर हमें इंडेक्स फंड्स में पैसे लगाने है, और हम Nifty 50 वाला इंडेक्स फंड्स सेलेक्ट करते है तो सारे टॉप 50 कंपनियों में इन्वेस्ट होते हैं| Index Funds बाकि फंड्स के मुकाबले Risk Free माना जाता है, क्योंकि यह डायरेक्ट इंडस को फॉलो करता है|
Sector Specific Funds :
इस फण्ड में क्षेत्र के बेसिस पर पैसे इन्वेस्ट किए जाते हैं, जैसे Pharma, Technology, FMCG Sectorial इंडस्ट्रीज होती है| अगर हमें फार्मा सेक्टर में इन्वेस्ट करना है, तो हम कोई भी फार्मा सेक्टर पैसे लगा सकते हैं, लेकिन अगर वह स्पेसिफिक सेक्टर अच्छी तरह से परफॉर्म नहीं कर रहा है, तो इस फोन में रिटायर होने के चांसेस बहुत कम होते हैं |
Pension Schemes :
यह Scheme Long Term के लिए अच्छी मानी जाती है, इस Scheme में ज्यादातर वही लोग इन्वेस्ट करते हैं जो Job करते समय निवेश करना चाहते हैं, और पेंशन के लिए यूज करना चाहते हैं, यह की कैपिटल मार्केट में इन्वेस्ट किया जाता है|
फायदे क्या है म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट करने के ?
- Diversification
- Economics Scale
- Professional Management
नुकसान क्या है म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट करने के ?
- No guarantee
- Cash Drag
- Required High Cost
म्यूच्यूअल फंड्स के बारे और जानकारी के लिए आप निचे दिए गए विडिओ देख सकते है|
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